विश्वव्यापी समानता का संदेश
कोई भी मनुष्य किसी दूसरे मनुष्य का अनुशरण नही करेगा क्योंकि प्रकृति हर एक मनुष्य को शारीरिक और मानसिक स्वतंत्रता देती है इसलिये हर एक मनुष्य को चाहिए कि वो सिर्फ और सिर्फ अपने सृष्टा को जाने और सृष्टा की माने ताकि उसका उद्धार हो सके ।
WORDS
THE SIGN OF CREATOR
Research & Information
Muhammed Rafique
Researcher & Motivater
Published on 13 Feb, 2020
क़ुरान का विश्वव्यापी संदेश
Aal-e-Imran 3:64 / Quran
قُلْ يَٰٓأَهْلَ ٱلْكِتَٰبِ تَعَالَوْا۟ إِلَىٰ كَلِمَةٍ سَوَآءٍۭ بَيْنَنَا وَبَيْنَكُمْ أَلَّا نَعْبُدَ إِلَّا ٱللَّهَ وَلَا نُشْرِكَ بِهِۦ شَيْـًٔا وَلَا يَتَّخِذَ بَعْضُنَا بَعْضًا أَرْبَابًا مِّن دُونِ ٱللَّهِۚ فَإِن تَوَلَّوْا۟ فَقُولُوا۟ ٱشْهَدُوا۟ بِأَنَّا مُسْلِمُونَ
तर्जुमा - : ऐ वो लोग जो अलकिताब यानी ईश्वर के प्राकृतिक (Natural Powers) एवं अतिप्राकृतिक (Super Natural Powers) दोनो सिद्धान्त की ख़बर (Identification) रखते है विशेषरुप से इन्ही लोगों को चाहिए कि वो इस सर्वव्यापी विचार धारा (Common Universal Ideology) को स्वीकार करे जो कि हमारे और तुम्हारे बीच एकरूपता (Uniformity) रखती है की हम उस एक ईश्वर के अलावा किसी और का अनुशरण (follow) ना करे जिसने इस सर्वव्यापी विचार धारा (Common Universal Ideology) को निर्मित किया है और नाही हम उसकी सर्वव्यापी विचार धारा मे किसी और को व्यक्तिगत और सार्वजनिक रूप से संयुक्त करे और ना ही हम किसी व्यक्ति को ईश्वर की प्रतियोगिता मे अपना (lordship) अधिपत्य दें और अगर कोई इस सूचना के उपरांत भी विचलित हो जाता है तो उससे कह दो की हम पूर्ण रूप से पूरे साक्षात्कार के साथ इस सर्वव्यापी विचार धारा को अपना अधिपत्य देते हैं ।
अल्हम्दुलिल्लाह रब्बिल आलामीन