EVERYTHING OF THE
UNIVERSE ARE
FOLLOWING ONE DIRECTION
THE SIGN OF CREATOR
Research & Information
Muhammad Rafique
Researcher & Motivater
Published on 14 Feb, 2020
An-Nisa' 4:64
وَمَآ أَرْسَلْنَا مِن رَّسُولٍ إِلَّا لِيُطَاعَ بِإِذْنِ ٱللَّهِۚ
Quran guide us that
We did not send any messenge except to be obeyed by permission of Allah (Law & Order)
क़ुरान का विश्वव्यापी संदेश
ईश्वर ने अपने दूतों से जो भी संदेश भेजा है वो इसलिए भेजा है ताकि ईश्वर के भेजे हुए संदेश का अनुशरण किया जाये (नाकि दूतों का) मगर उस संदेश की प्राकृतिक एवं अति प्राकृतिक ईश्वरीय प्रणामिकता के साथ ।
एक सृष्टा, एक सृष्टी, एक संदेश
क्योंकि की ईश्वर के किसी भी दूत या उसका संदेश का होना या कहना पर्याप्त नही हो सकता है जब तक उसे मानवीयत के प्रत्येक स्तर पर प्राकृतिक और अति प्राकृतिक रुप से सार्वभौमिक प्रमाणित ना किया जाये । कुरान कहता है कि किसी भी दूत या उसके संदेश को बिना उसकी विश्वव्यापी प्रमाणिकता के आधार के बिना स्वीकार नही किया जा सकता है और यदि कोई ऐसा करता है तो वो ईश्वर का अनुशरण नही करता बल्कि अपने ही तरह के मनुष्य का अनुशरण करता है और क़ुरान किसी भी मनुष्य को मनुष्य के अनुशरण मे नही देता है मगर ईश्वरीय नियमानुशार हम सब एक पिता की संतान है हम सब आपस मे भाई-भाई है हमारे बीच ना कोई बड़ा है और ना कोई छोटा है हम सबका सृष्टा एक है हमारा पालनहार एक है लिहाजा हमे चाहिए कि हम ईश्वर के अलावा किसी को भी अपना दाता, विधाता और मार्गदर्शक ना बनाये क्योंकि कोई भी मनुष्य अचर, अमर, अजन्मा और अविनाशी नही है इसलिये किसी भी मनुष्य को यह अधिकार नही है कि वो किसी दूसरे मनुष्य के भविष्य की जिम्मेदारी उठा ले जबकि उसे स्वयं अपने भविष्य की कोई सूचना प्राप्त नही है और ना ही वो सृष्टा है इसलिए इस बात को अपने चिन्तन मे रखे की मनुष्य के अधिकारो का हनन या उसका शोषण होता ही तब है जब कोई मनुष्य किसी दूसरे मनुष्य को अपना सर्वेसर्वा बना लेता है और उसी के कान से सुनता और उसी की आँख से देखता है बस यहीं से उस व्यक्ति, समाज और राष्ट्र का पतन शुरू होता है क्योंकि ऐसा अंधा और बेहरा व्यक्ति, समाज और राष्ट्र कभी भी भौतिक, मानसिक और आध्यात्मिक विकास नही कर सकता है।
अल्हम्दुलिल्लाहि रब्बिल आलामीन
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